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Jaane Kahaa ??? The Revolution भाग 28

हेल्लो लेखनी परिवार.....

अब तक ये कहानी फेमिली ड्रामा, कोलेज लाइफ और कुछ हद तक सस्पेंस से भरी पडी हुइ है। आज के अपडेट से ये कहानी की मुल कथा  यानी ये कहानी का नाम जाने कहा ??? एक क्रांति है वो क्रांति की शुरुआत होने जा रही है। आप लोगो का बहुत बहुत धन्यवाद की प्यार से ये कहानी पढ रहे हो। बहुत सारे संस्पेंस पे संस्पेंस बढ रहे है.....इस भाग मे भी कु एक सस्पेंस अब खुलते जायेंगे.....सब से पहला सस्पेंस अगले भाग यानी भाग-29 मे खुलेगा.....इसिलिये जुडे रहीये और पढते रहीये....फिर से धन्यवाद। आइये अब कहानी पर चलते है.....

अपडेट 28

यूनिवर्सिटी केम्पस मे धीरे धीरे स्वामी रामानंद की बाते फैली जा रही थी। मोस्ट ऑफ सीनियर स्टूडेंट्स तो पहले से ही साधक बन चुके थे, लेकिन जुनीयर स्टूडेंट्स मे से भी मोस्ट ऑफ उसके साधक बनते चले गये। धीरे धीरे सब से पहले बिरजु साधक बना और रोज नयी नयी बाते सब के सामने करता था। जय का मन बहुत देर तक दुविधा मे रहा की वो साधक बने या नही।

 

पहला टर्म खत्म होते ही दीवाली का वेकेशन हुवा और जब जय वेकेशन से वापस आया तो सब से बड़ा चमत्कार ये हुवा था की निशा, निशी और साजन भी इस मार्ग से जुड़ चुके थे। जय खुद हैरान था की उसके ग्रूप के मोस्ट ऑफ लोग इस मार्ग से जुड़ चुके थे। एक सप्ताह बाद मुनीश और उदयन भी साधक बन चुके थे। बस एक जय अकेला था। रोज रा को वही महेफ़िल जमती थी, लेकिन अब महेफ़िल मे शेरो शायरी और मज़ाक मस्ती के अलावा स्वामी रामानंद मेइन सब्जेक्ट रहता था। कॉलेज मे, केन्टीन मे, क्लास मे सब जगह स्वामी रामानंद ही छाये हुए थे। कोई कोई साधक तो रातभर आश्रम मे रह के वापस आते थे और अपनी अपनी कथा सुनाते रहते थे।

 

जय को बातचीत से इतना तो पता चला था की आश्रम मे आज़ादी का माहोल था। सब को अपने मनपसंद कार्य और कला करने को मिल सकता था। साथ मे जय ने ये भी महसूस किया की जो साधक थे उसकी मेन्टल स्थिति इतनी अच्छी हो चुकी थी की कोई भी समस्या का समाधान कर सकते थे। जय को सब से बड़ा आश्चर्य तब होता था जब निशी और साजन भी साधक बन के तुरंत आश्रम की ओर निकल पड़ते थे।

 

और आख़िर जय ने फ़ैसला किया की वो भी साधक बन ही जाए, वो दो दिन की छुट्टिया लेकर अपने घर जूनागढ़ आया, माता राजेश्वरीदेवी से मिला और विचार परामर्श किया। माता ने धर्म, ज्ञान, भगवान सब के बारे मे बड़ी चर्चा की और अंत मे बोला,”जय अगर तुजे मन और अंतर से लगे की यही मेरे गुरु है तो अवश्य स्वामी रामानंद को गुरु बनाओ। मूज़े कोई ऐतराज़ नही है।

 

बस जय की दुनिया ही अपनी मा थी तो उसने फ़ैसला कर लिया की वो भी साधक बन ही जाए। वो वापस नागपुर आया और अकेला आश्रम गया और स्वामी रामानंद तो नही थे, लेकिन फॉर्म लेके गया और फिर अपनी होस्टेल की रूम मे आया और सब दोस्तो को बताया की वो भी साधक बन ने जा रहा है। सब खुश हुए और एक दिन जय भी समाधी ट्रस्ट का साधक बन ही गया। आश्रम से उसे एक ड्रेस दिया गया और पहले ही रविवार को सब के साथ जय भी आश्रम मे चला गया। फिर वो बार बार आश्रम मे जाने लगा। आश्रम मे एक तरह से उसे मानसिक आनंद और मज़ा आता था तो दूसरी तरफ कई चीज़ ऐसी थी जो जय को पसंद नही थी फिर भी आश्रम मे आराम से हो रही थी।

 

ऐसे धीरे धीरे जय का एक साल पुरा हो गया और साथ साथ जय पूरा साधक बनता चला जा रहा था। गर्मी की छुट्टियो मे जय और सब दोस्तो ने मिलकर सौराष्ट्र के जुनागढ के पास सासन गीर जो लायन्स नगरी के नाम से प्रख्यात है जहा एशियन सिह सब से ज्यादा देखने को मिलते है वहा जाने का प्लान बनाया। और जय, निशी, निशा, बिरजु, उदयन, मुनीश और साजन सब जुनागढ जाने के लिये रवाना हुए। जय सब को लेकर जुनागढ अपने घर आया और सब का स्वागत अपने घर पर किया। जय की माता राजेश्वरीदेवी पास के गाव मे पारायण सुनाने गयी थी तो अगले साप्ताह तक वापस नही आनेवाली थी। चाय पानी पीने के बाद सब फ्रेश होने लगे। जय के घर के उपर के मजले मे सब हसी मज़ाक कर रहे थे की अचानक साजन की नज़र एक तस्वीर पर गयी और वो खडा हुवा, तस्वीर के पास गया। ब्लेक & व्हाइट तस्वीर कुछ धुन्धली सी थी और साजन ने नजदीक से उसे गौर से देखा।

 

और फिर उसने पुछ लिया, “जय, ये कौन है ?”

जय ने बताया की वो उसके पिताजी किशोरीलाल है। जय ने आगे बताया की शायद उसके पिताजी का एक्सिडेंट हो गया था लेकिन डेड बॉडी नही मिली तो आज भी उसकी माताजी उसे जीवित मानती है और जय की परवरिश मे मशरूफ है।

 

साजन सोच मे पड गया और जय ने पुछा की क्या हुवा तो साजन ने बताया,”यार जय मैने शायद इस चेहरे को कही देखा है।

 

जय कुछ नही बोलकर उस मामले को वही ख़तम कर दिया क्यूकी वो नही चाहता था कुछ और बात उसके पिताजी के बारे मे हो। जय भी बरसो से यही कहानी जानता था और चुप था तो वो कुछ आगे नही बोलकर खामोश रह गया, लेकिन आज उसके दिल मे अपने पिताजी के बारे मे ज़्यादा जान ने की ख्वाहिश ज़रूर पैदा हो चली थी। फिर तो जय के बचपन के फोटो और पुरोहित परिवार के सदस्यो की फोटो देखते देखते अचानक एक लड़की की ब्लॅक & व्हाइट फोटो देखकर निशी चौक गयी और उसने पुछ लिया,”जय ये कौन है?”

 

जय ने तस्वीर देखी और कहा,”ये मेरी फूफी सुनंदा है।

 

निशी कुछ सोच मे पड गइ और फिर पुछ लिया,”ये तेरी फूफी है?”

 

जय,”हा, लेकिन तु क्यु पुछ रही है, क्या तू जानती थी इसे?”

 

निशी,”अरे जानती थी नही जानती हु

 

जय,”क्या मतलब?”

 

निशी,”कितनी उम्र होगी अभी इसकी?”

 

जय,”जब इसका आक्सिडेंट हुवा तब शायद 21 या 22 साल की होगी।

 

निशी आश्चर्य से,”व्होट ?, ये मर चुकी है?”

 

जय ने हा मे सिर हिलाया।

 

निशी खडी हुइ और अपना सिर हिला दिया और बोल उठी,”नही जय, ये लड़की तो कलकत्ता मे स्वामी रामानंद के आश्रम की साधिका है, देखो तो साजन।

 

साजन ने भी ध्यान से देखा और बोला,”अरे ये तोमिली’ है और साधिका है, लेकिन ये तस्वीर तो ब्लॅक & व्हाइट और बहुत पुरानी है, और वो लड़की तो हमारी उम्र की है। ये लड़की तो पर्मनेन्ट आश्रम मे ही रहती है।

 

जय को आश्चर्य हुवा,”क्या? लेकिन ये कैसे हो सकता है की मेरी फूफी मर चुकी है और कलकत्ता मे ज़िंदा भी है ?”

 

निशी,”अरे जय, ये जो हम बात कर रहे है वो लड़की तेरी फूफी नही है क्यूकी अगर तेरी फूफी होती तो 40 या 50 साल की बुढ्ढि होती, ये तो जवान और खूबसूरत लड़की है और इसका नाम मिली है, इसका आगे पिछे कोई नही है मतलब की अनाथ है और आश्रम मे सेवा करती है।

 

जय,”साजन, ज़रा ध्यान से देखो तो शायद एक चेहरे जैसे दो लड़किया भी हो सकती है।

 

साजन,”तेरी बात सच हो सकती है जय, लेकिन इस लड़की को तो कोई नही भूल सकता जय, क्यूकी ये लड़की बहुत अच्छी है और जीभ तो जैसे उसके मूह मे है नही है। बहुत कम बोलती है। ये अनाथ है और स्वामी रामानंद ने उसे पाल पोसकर बड़ा किया है। इसीलिए ये लड़की पर्मनेंन्ट साधिका के रूप मे कलकत्ता आश्रम मे ही रहती है।

 

जय बड़ी सोच मे पड गया और आगे कुछ नही बोला। फिर उसके बारे मे ज़्यादा बाते नही हुई लेकिन जय ने तय किया की वो अपनी मा से ज़रूर इसके बारे मे बात करेगा।

 

बस ये बात वही अधूरी रह गयी और सब ने सासन गीर का परिभ्रमण किया और बाकी का वेकेशन पुरा करने के लिये सब अपने अपने सिटी मे चले गये।

 

लेकिन जिस दिन राजेश्वरीदेवी वापस आई तो उसी रात को जय अपनी मा के साथ अकेला पड़ा तो सब बाते बताई और उस ने राजेश्वरीदेवी को पुछा,”मा पिताजी का चक्कर क्या है और मेरी फूफी जैसे ही लड़की जो कलकत्ता मे है वो कौन है?”

 

राजेश्वरीदेवी थोड़ी देर चुप हो गयी और फिर बोली,”बेटे, मै जानती थी की एक दिन तु ये सवाल ज़रूर उठायेगा इसीलिए मे तुजे कुछ बाते ज़रूर बताती हु। तेरे पिताजी ज़िंदा ज़रूर है ये मेरा विश्वास है, इसीलिए मैने अपने सुहाग की निशानी आज तक नही छोड़ी है। दूसरा वो कहा है ये बरसो से मै नही जानती। आखरी बार वो यहा से जोधपुर गये थे बाद मे वापस नही आये। लेकिन एक बार उसका केवल फोन आया था की हमे उसकी चिंता नही करनी है और पूरा ध्यान तेरे भविष्य की ओर देना है। भविष्य मे कभी भी वो तेरे सामने सकते है।इतना कहकर राजेश्वरीदेवी ने फिर वो गिरनारवाले बाबा की कहानी सुनाई। लेकिन भूल से भी जोधपुर के एक भी सदस्य का नाम नही लिया। क्यूकी जय का मन बदला लेने के लिये भटक सकता था।

 

आख़िर मे राजेश्वरीदेवी ने जय को कहा,”जय बेटे आज मै एक बात के लिये तुजे बताती हु की ये स्वामी रामानंद के बारे मे फिर से एक बार सोच लेना और कलकत्ता आश्रम मे एक बार ज़रूर जाना। और दूसरा जिस से तेरी शादी होगी उस लड़की को ढूँढने की कोशिश नही करना क्यूकी तेरे पिताजी ने मना किया है। अगर उस बाबा की वाणी मे सच्चाई है तो वो लड़की ज़रूर तेरे सामने आयेगी। तब तक तुजे संयम से काम लेना होगा। वैसे आज दिन तक जो भी उस बाबा ने कहा है तेरी ज़िंदगी मे सच हो रहा है। एक बात अच्छी तरह समज ले की तु साधारण मनुष्य नही है। एक पवित्र आत्मा है तो किसी भी चक्कर मे मत पडना मेरे बेटे।

 

ठीक है मा, एक बार मै ज़रूर कलकत्ता जाउंगा और पूरी कोशिश करूँगा की जो तु चाहती है वैसा ही हो।जय ने कहा और उस रात दोनो सो गये।

 

माता राजेश्वरीदेवी का जय के बारे मे डर स्वाभाविक था की अगर वो जोधपुर के सदस्यो का नाम बताती तो शायद जय का मन ज़रूर बदला लेने के लिये भटक सकता था।

 

लेकिन राजेश्वरीदेवी की दूरंदेशी ने अपने जीवन काल की सब से बड़ी भूल भी शायद यही की थी की जय को पूरी कहानी पता नही चली। अगर जय जान पाता की जोधपुर मे बरसो पहले क्या हुवा था। विक्रम, क्रिष्ना, बंसी, महाराजा ऑफ जोधपुर, प्रिन्स, रामेश्वर, बिजली, Advocate महर्षि सेन, किशोरीलाल और राजेश्वरीदेवी के साथ जय, क्रिष्ना का बच्चा मुन्ना और जय की भावी पत्नी के रूप मे जन्म लेनेवाली बच्ची के बारे मे अगर जय को उस दिन मालूम पड गया होता तो शायद उसकी ज़िंदगी कुछ ओर होती और अपनी लाइफ के बड़ी आपत्ति से वो शायद बच जाता। लेकिन कुदरत है ना, ना जाने कहा कौन सा खेल खेलती है।

 

एक बात तो स्वीकार्या है ही की अपने किये को यही भोगतना पड़ता है और अपने भूतकाल के कर्मो को भी भोगतना पड़ता है। इसीलिए जय को बिल्कुल अंदाज़ा नही था की उसका कॉलेज का दुसरा साल उसका लाइफ चेंजिंग साल होगा।

*****

वेकेशन के बाद फिर से कॉलेज लाइफ शुरू हो चली थी। लेकिन जय के मन मे कलकत्ता जाने की तिव्र इच्छा हो चली थी और अचानक उसे मौका भी मिल गया। फिर से एक क्रिकेट टूर्नमेंट मे नागपुर के कॉलेज केम्पस ने अपनी टीम को भेजना था जो कललत्ता मे आयोजित होनेवाली थी। निशी के साथ पूरी टीम कलकत्ता के लिए रवाना हुई। खास साजन को साथ लिया गया। क्यूकी साजन और निशी ही जानते थेमिली’ नाम की उस लड़की को।

 

पहले ही दिन निशी, साजन और जय कलकत्ता मे नॅशनल हाइवे नम्बर 2 के पास स्थित हुबली रिवर के ब्रिज को क्रॉस कर के सामने दक्षिणेश्वर के आगे 2 कीमी हाइवे पर स्थित आश्रम मे गये और पुछताछ की लेकिन पता चला की मिली नाम की लड़की तो 15 दिन पहले ही उस आश्रम से कही चली गयी है। सब को बड़ा आश्चर्य हुवा की ऐसे कैसे हो सकता है ? क्यूकी बराबर 15 दिन पहले तो उन्होने तय किया था की वे लोग यहा आनेवाले है। मिली के बारे मे ज़्यादा जानकारी पाने की कोशिश की तो बस इतना पता चला की वो लड़की स्वामीजी की बहुत प्यारी थी और अपने बच्चे की तरह देखभाल किया है और वो अनाथ नही थी बल्कि उसकी मा थी लेकिन बाजारू औरत होने के नाते मरने से पहले इस आश्रम मे छोड गयी थी। लेकिन किसी को उसकी माता का नाम ध्यान मे नही था। निराश होकर जय & कम्पनी टुर्नामेंट खेलकर वापस गयी। इस टुर्नामेंट मे भी जय और निशी ने मिलकर रवि कपूर के इज्जत के धज्जिये उडा के रख दिये थे । इतना ही नही जय के अलावा और भी बेट्समेनो ने काफी धुलाइ की थी।

फिर एक महीना और बीत गया। साजन पहले से ही कुछ दिन अपने घर चला जाता था। (इस कहानी मे मै लीख चुका हु की साजन कभी कभी कुछ दिनो के लिये गायब हो जाता था)

 

एक बार जुलाइ का महीना था जोरो से बारिश हो रही थी। जय अपने रूम मे अकेला था और उदयन आज आश्रम मे रात रहनेवाला था। रात को करीब 11 बजे किसी ने जय के रूम का दरवाजा खटखटाया। जय ने अचानक उठकर खोला तो बारिश मे पूरा भीगा हुवा साजन खड़ा था। जय ने उसे जल्दी अंदर ले लिया और जल्दी से अपना टोवल दिया और साजन फ्रेश होकर उसके सामने बैठ गया।

 

जय ने पुछा,”क्या हुवा साजन इतनी रा को कहा से रहा है?”

 

 

साजन,”जयपुर से रहा हु। ट्रेन लेइट थी तो देर हो गयी और बाहर मेइन गेइट से यहा तक आते हुए बारिश मे भीग गया।

 

जय ने आगे पुछा,”तेरा बेग किधर है?”

 

साजन,”अपने रूम मे छोड़कर तेरे पास आया हु।

 

जय,”अरे तु अपनी रूम मे गया था तो फ्रेश होकर यहा आता ना। बारिश मे फिर से भीगकर क्यू आया?”

 

साजन,”साले तु सिर्फ़ सवाल ही पुछेगा की मेरी सुनेगा भी।

 

जय,”ओह सॉरी सोरी यार बोल क्या बात क्या है?”

 

साजन कुछ देर चुप रहा फिर उदयन के बेड के नीचे से सिगरेट का पॅकेट निकाला और एक निकालकर कश खिचने लगा। जय चुपचाप देख रहा था फिर साजन ने अपने पास पड़ा एक पॅकेट खोला और उसमे से कुछ तस्वीरे जय को दिखाई। जय उस तस्वीर को देखता ही रहा क्यूकी कुछ तस्वीरो मे कुछ लोग शराब और शबाब की महफ़िल का आनंद ले रहे था और कुछ तस्वीरो मे होटेल या फार्म हाउस के बेड सीन्स थे। जय ने तस्वीरे स्पीड से देखकर बाजु मे रख दिया और बोला,”ये क्या है साजन? मूज़े ये आधी नंगी तस्वीरे क्यू दिखा रहे हो?”

 

साजन ने कहा,”जय ये राजस्थान के कुछ हरामी पॉलिटिशियन्स की तस्वीरे है। क्या इसे देखकर तेरा खून नही गरम होता की सालो को जैसे ही सत्ता मिल गयी तो देश का भला तो दूर लेकिन ऐश करने मे ही अपनी ज़िंदगी गुजार रहे है।

 

जय कुछ देर चुप रहा और फिर बोला,”लेकिन आज अचानक तुजे देशभक्ति कैसे सुजी है मेरे दोस्त?”

 

साजन,”यार हम इंडियन्स है, हिन्दुस्तानी है हमारा देश रिपब्लिक है लेकिन इसका मतलब ये तो नही की कोई भी मा___ पोइलिटिक्स मे पैसे के ज़ोर पर जाये और हमारी ही इज़्ज़त को लूट ले।

 

जय हस पड़ा और बोला,”यार ये तो बरसो से होता आया है इसीलिए तो हम ज़्यादातर लोग पॉलिटिक्स से दूर ही रहते है ना।

 

साजन ने अचानक जय का चेहरा पकड़ा और गुस्से मे बोला,”लेकिन क्यू ? यार क्यू? कब तक हम गुलामी करते रहेंगे ? सहते रहेंगे ? पहले राजा महाराजाओ की, फिर अंग्रेज़ो की और अब हमारी ही थाली खाकर आगे बढ़े हुए चंद नेताओ की।

 

जय ने माहोल शांत करने की कोशिश की,”अरे भाइ, तुजे आज अचानक देशभक्ति क्यू सूजी है, तू चाहता क्या है?”

 

कुछ देर तक साजन कश खीचता रहा और जय की ओर सीधी नजरो से देखता रहा और फिर बोल उठा,

 

साजन,”इन सालो को ख़तम कर देना चाहता हु यार, और मुज़े तेरी मदद चाहिए।

 

जय अचानक खडा हो गया,”व्होट ? फिर से बोल तो क्या चाहता है तु ?”

 

साजन ने फिर एक कश खीचा और जोर से बोल उठा,”क्रांति करना चाहता हु जय, और मूज़े तुम सब लोगो की मदद चाहिये।

 

जय हस पड़ा और बोला,”तू शहिद भगतसिंह के जमाने मे चला गया है क्या ? आज के युग मे कोई किसी का कुछ उखाड़ सकता है क्या ?”

 

साजन,”तू कुछ भी बोल जय, लेकिन मै अब ये सब कुछ सहन नही कर सकता। बचपन से देखता रहा हु की साले नेतालोग हम पर नंगा नाच कर रहे है और हम लोग साले बुजदिल बनकर सब तमाशा चुपचाप देख रहे है।

 

जय,”चलो मान भी लिया जाए की क्रांति करेंगे लेकिन क्या करेंगे ? कैसे ये सिस्टम को चेंज करेंगे? ये कोई फिल्म तो नही की तीन घंटे की फिल्म को शूट करने के लिए एक या डेढ़ साल मे मेहनत किया और फिल्म तैयार।

 

साजन,”मेरे पास प्लान है जय की क्या करना है। मूज़े सिर्फ़ तेरी मदद चाहिए।

 

जय अब बेड पर बैठ गया और पुछ लिया,”क्या करेगा?”

 

साजन ने दुसरी सिगरेट जलाइ और कुछ देर के बाद जैसे बोम्ब विस्फोट कर दिया,”इन सालो को ब्लॅकमेल करूँगा और चॅलेंज करुंगा की या तो अपने घर बैठ जाओ या फिर हमे आगे आने दो।

 

जय फिर से मुस्कुराया और बोला,”कैसे ब्लॅकमेल करेगा और क्या तेरी धमकी से डरकर ये पॉलिटिशियन्स घर बैठ जायेंगे ? ये अठंग जुआरी लोग रहते है साजन। इसे किसी का बाप भी कुछ नुकसान नही पहुचा सकता और खुद तेरे पापा भी तो मेयर है। क्या तु नही जनता की पॉलिटिक्स मे सब जायज़ है।

 

साजन,”तु सही बोला यार पॉलिटिक्स मे सब कुछ जायज़ है, इसीलिए ये चेलेन्ज मै उठा रहा हु की सालो को एक बार उसकी नानी नही याद दिलाई तो मेरा नाम साजन नही।

 

जय फिर से उठा और साजन की बाहे पकड़कर उसकी आँखो मे आँखे डालकर बोला,”क्या हुवा साजन ? अचानक एक मस्ती भरे लड़के मे से ज्वाला बनकर आज क्यू खड़ा है ? क्या तेरे साथ कुछ हुवा है यार ? ऐसे तो अचानक कोई यू नही घायल हो जाता।

 

साजन थोड़ी देर चुप रहा और फिर तीसरी सिगरेट जलाई और धीरे से बोला,”मूज़े दो दिन पहले ही पता चला है की इनमे से ही एक ने मेरी छोटी बहन को मार डाला है और इसकी वजह से मेरी मा भी मर गयी है।

 

जय,”ये तुजे कैसे पता चला और वो भी इतने बरसो के बाद ?”

 

साजन,”बात ये नही है की मुज़े बरसो के बाद क्यू पता ? लेकिन बात ये ज़रूरी है की मूज़े पता तो चली और मै अपनी बहन और मा के हत्यरो को कभी माफ़ नही करूँगा यार।साजन की आँखो मे खून उतर आया था।

 

जय,” कुछ खुल के बोलेगा साजन ?”

 

तुम लोग नही जानते यार की मै कई दीनो तक क्यू गायब रहता था। मै अपनी बहन की मौत का कारन जानना चाहता था और अब मेरी आँखो के सामने सब चित्र स्पष्ट हो चुका है तो मै क्यू उसे छोडु?साजन ने मुठ्ठी बांधकर आक्रोश के साथ कहा।

 

जय,”अरे बात तो पूरी बता यार तो कुछ मै आगे बोलु ।

 

साजन,”बात साफ है जय बरसो पहले मेरी छोटी सी बहन जो 3 या 4 साल की होगी उसकी एक दिन विक्रुत हालत मे लाश हमारे घर के बगीचे मे पायी गयी और उसका चेहरा इतना विक्रुत हो चुका था की कोई देख भी नही सकता था। मैने वो लाश अपनी आँखो से देखी है। आज भी वो मंजर मेरे सामने है जय। बडे होकर मूज़े अब शक हो रहा है की उस बेचारी बच्ची पर शायद किसी ने बलात्कार भी किया हो।

 

जय,”तु ये बरसो के बाद कैसे कह सकता है?”

 

साजन,”तु सवाल ज़्यादा मत पुछ बस ये बता की मेरे साथ क्रांति करने को तैयार है या नही?”

 

जय,”देख यार इस वक्त तु बड़ा गुस्से मे है। इस के बारे मे सब के साथ कल डिस्कस करते है ना बाद मे फैसला लेते है।

 

साजन,”मै जानता था जय की किसी का भी जवाब यही हो सकता है। बस समय दे दो, गुस्सा अपने आप ठंडा हो जाएगा और क्रांति वही खत्म हो जायेगी। अदालत मे भी तो यही होता है ना तारीख दे दो। साला केस करो तो बरसो नीकल जाते है जजमेंन्ट आते आते और केइस की कोइ अहेमियत ही नही रह जाती ।“

 

जय अब कुछ डर रहा था की जाने आज रात कैसे साजन को समजाये तो वो चुप ही रहा। फिर जय ये भी सोच मे भी था की अगर किसी भाई को पता चले की उसकी बहन की मौत का जिम्मेदार कुछ लोग है तो ज़रूर उसका खून गरम होगा। लेकिन ये रील लाइफ नही थी बल्कि रीयल लाइफ थी। तो ज़रूर कुछ सावधानी से आगे बढ़ाना होगा। इसीलिए वो कुछ समय तक खामोश रहा फिर उसने साजन की और देखा। साजन उसे घुर रहा था जैसे बता रहा हो की जय तु बुजदिल है। जय फिर से उसके पास गया और साजन का हाथ पकड़कर उसे बेड पर बिठाया और बोला,”देख साजन मै ये नही कह रहा हु की तुजे साथ नही दूँगा, लेकिन मौका देखकर वार किया जाता है यार। और तू अकेला ही नही हम सब के साथ कुछ ना कुछ तो हादसा ज़रूर हुवा है ना।

 

साजन नज़रे जुकाकर बैठ गया।

 

थोड़ी देर जय बोलता रहा, समजाता रहा और अचानक साजन उठा और बोला,”जय अगर तेरी बहन के साथ ऐसा हुवा होता तो तू क्या करता?”

 

जय,”मै जानता था की ये फिल्मी डाइलॉग बीच मे ज़रूर आयेगा ही। देख अगर मेरी बहन के साथ ऐसा होता तो मै भी किसी को छोड़ता नही लेकिन मौके की राह ज़रूर देखता यार।

 

साजन फिक्का हस पडा,”मौका, मौका किसी को मिलता नही यार ढुंढना पडता है।

 

जय,”कुदरत हर एक को सही मौका ज़रूर देती है साजन, थोड़ी सी धीरज रखो, ज़रूर कुछ ना कुछ रास्ता निकल आयेगा ही।

 

साजन,”मुज मे अब सहन शक्ति नही रही जय।

 

जय कुछ पल तक खामोश रहा और फिर कहा,”ठीक है यार लेकिन तु मुज़े ही सब से पहले क्यू शामिल करना चाहता है ?”

 

साजन,”तु ही तो कहता है की तेरा जन्म कुछ अलग करने के लिये हुवा है। शायद यही तेरा कार्य हो और तेरा जन्म भी शायद इसीलिये ही हुवा हो। देख, तुजमे सोचने की शक्ति ईश्वर ने हम सब से ज़्यादा दी है। इसीलिये मै चाहता हु की क्रांति हमलोग ही शुरू करे।

 

जय हस पड़ा और बोला,”यार मेरा जन्म किसी कल्याण के लिए हुवा है ये मैने अपने बारे मे सुना है लेकिन कोइ बदला लेने के लिये नही।

 

साजन ने आखरी कश खीचकर सिगरेट को पैरो तले रोन्द डाला और तीखी नजरो से बोल उठा,”इसे मै तेरी ना समजु यही ना ?इतना कहकर साजन गुस्से से उसके रूम से बाहर चला गया और जय अकेला रूम मे रह गया।

 

जय साजन साजन चिल्लाता रहा फिर थोड़ी देर खड़ा रहा और फिर दरवाजा बंध कर के अपनी बेड पर पड़ा और सोचा की अभी तो साजन गुस्से मे है लेकिन कल सुबह ज़रूर बात करेगा।

 

****

 

दूसरे दिन सुबह कॉलेज ख़तम हो जाने के बाद जय अपनी रूम मे वापस आया तो उदयन नही था। वो रूम की बाहर नीकला तो उदयन को साजन की रूम मे जाते हुए देखा। जय ने आवाज़ लगाई तो उदयन ने इशारे से समजाया की वो साजन के रूम मे जा रहा है। जय भी साजन के रूम मे पहुचा। साजन ने वहा 10 लोगो की फौज लगाई थी। साजन, निशा, निशी, उदयन, मुनिश, बिरजु के साथ चार और लोग थे एक आदमी कोई 37 या 40 साल का था उसके साथ एक औरत भी थी जो करीब उसी के उम्र की थी और उसके साथ और दो लोग भी थे। जय सहसा साजन के रूम पर पहुचा और दरवाजे पर ही चिपक गया। निशी ने उसे देखा और बुलाया,”अरे जय, अंदर जाओ।

 

जय ने चारो देखा और साजन के साथ आँख मिलाई। साजन उसके सामने जैसे देख रहा था और कह रहा था की वो अपने इरादे मे मक्कम है। जय अंदर गया और बैठ गया। साजन ने जय की पहेचान उन चार अन्जान व्यक्तियो से करवाइ और फिर जय के सामने चेहरा घुमाकर बोला,”जय ये है इन्दरराज रिषी और उसकी धर्मपत्नी अपर्णाबहन और ये है दोनो समाधी ट्रस्ट के जयपुर के दो साधक, संजयभाइ और अमरभाइ ।“

 

सब ने हाथ मिलकर शेकहेंड किया और साजन ने बात आगे बढाइअ,”तो हम लोगो को आज की परिस्थिति के राजकिय परिवेश को चेंन्ज करना होगा और आज के युग मे पॉलिटिक्स की धुरा हमे संभालनी होगी। मै यहा आपलोगो को कुछ बताना चाहता हु।इतना कहकर वो तसवीरे जो जय को दिखाई थी वोही तसवीरे फिर से सब को दिखाई। सब ने बारी बारी वो तसवीरे देखी और फिर निशी बोली,”साजन ये तस्वीरे तो आमबात है, हम सब जानते है की पॉलिटिक्स मे यही होता आया है और हम इतने लोग ये बरसो पुरानी सीस्टम को चेंन्ज कर सकते है क्या ?”

 

साजन,”पूरी बात सुन लो निशी फिर फैसला तो आपलोगो के हाथ मे है ही ना।इतना बोलकर साजन ने अपनी बहन और मा की मौत के बारे मे सब को बताया और आगे कहा,”मै हाथ मे आये हुए इस मौके को कभी नही छोड़ूँगा और मी. इन्दरराज, भाभीजी और साथ मे ये दोनो भाइ मुजे मदद करनेवाले है।

 

मुनिश ने बीच मे बोला,”लेकिन साजन ये तो तेरा पर्सनल बदला है, इसमे पॉलिटिक्स चेंज करने की बात कहा से आई ?

 

ये सवाल से कुछ देर वहा खामोशी छा गइ। जय ने मौन रहना ही ठीक समजा था। बाकी सब के चेहरे भी यही बता रहे थे की अगर पर्सनल मामला है तो इस मे पोलिटिक्स चेंज करने की बात का क्या कनेक्शन ?

 

कुछ पल साजन सब को बारी बारी देखता रहा और फिर मुनिश को पुछा,”मुनिश, तेरे पिताजी कौन थे और क्या करते थे? और उस की डेथ कैसे हुइ ?

 

मुनिश,”मेरे पिताजी एक ट्रक ड्राइवर थे और एक्सीडेंट मे उसकी मौत हो गयी।

 

साजन,”बिरजु,  तेरे पिताजी कौन थे और क्या करते थे?”

 

बिरजु,”मेरे पिताजी एडवोकेट थे और एक हादसे मे उसकी भी मौत हुई थी।

 

साजन,”निशा, तेरे पिताजी की भी हत्या या एक्सीडेंट हुवा था बराबर ?”

 

निशा,”ह्म्म

 

साजन,”जय, तेरे पिताजी का भी एक्सीडेंट हुवा था बराबर ?”

 

जय ने भी हा मे सिर हीलाया

 

साजन,”निशी तेरे दादाजी की भी मौत हुई थी एक्सीडेंट मे ही सही ना?”

 

निशी ने भी हा ही मे सिर हीलाया ।

सब अब एकचित होकर सुन ने को बेताब थे। क्युकी कभी इस ग्रुप मे ऐसी बाते ज्यादा नही हुइ थी। आज पता चल रहा था की यहा जो भी ग्रुप के मेम्बर्स थे उस के रीलेटिव्ज की मौत कोइ हादसे या एक्सीडेंट मे हुइ थी।

 

अब साजन ने उठकर बोलना शुरु किया,”ये दोनो पति पत्नी ने अपने दो बच्चो की लाश भी एक्सीडेंट मे ही देखी है और ये दोनो साधक भी अपने पेरेंट्स को एक्सीडेंट मे ही गवा बैठे है।

 

निशी,”लेकिन तु कहना क्या चाहता है साजन?”

 

साजन,”दुसरी बात सब के रीलेटीव्स का एक्सीडेंट या मौत राजस्थान या जयपुर के आसपास ही हुई है ये किसी के ध्यान मे आया ?”

 

एक बिजली गिर पड़ी सब के उपर। क्यूकी साजन बिल्कुल सही था। पिछले एक साल से वे लोग इकठ्ठे थे, मौज मस्ती किया करते थे लेकिन अपने माबाप को कभी याद नही किया था और आज अचानक सब को अपने रिलेटिव्स की याद आई तो साजन सही था। ये एक हादसा था या कुदरत की करामत।

 

उदयन,”what is then proved even after all the incidents? My friend? And my father, your father and Nishi’s father are still alive, what’s for them?”

 

साजन,” Yes this is the most important question or matter among us that why our fathers are still alive and the rest are dead ?”

 

निशी,”yes, there you are.”

 

साजन,”क्यूकी मेरे फाधर समाधी ट्रस्ट के इंटरनॅशनल होद्दे पर नियुक्त है, निशी, तेरे पिताजी मेरे डेड को सपोर्ट कर रहे है और उदयन, your father is giving lots of fund to Samadhi Trust my friend.

 

अब बीच मे जय ने पुछा,”मेरे भाइ आखिर तु कहना क्या चाहता है साजन ?

 

साजन,”माय फ्रेंड्स सोचो, Why we are gathered here or I can say why we are compelled to gether here for 3 or 4 years ? मेरे अलावा बाकी सब कोई स्पोर्ट्स मे है तो कोई कुछ कला मे एक्श्पर्ट है, लेकिन पढने मे ज़ीरो है, नही तो ठीक से पढ़ाई नही कर पाते है और या तो इतने कम मार्क्स है की कही अड्मिशन मिलना मुश्किल है और नही तो इतना भी पैसा नही है की कोई अच्छा कोर्स कर सकते है। इसीलिए कोई खास मक्सद से हमे यहा जानबुजकर इकठ्ठा किया गया है और हमारी दोस्ती की गयी है। And my friends now I must say this is all because of Thanks to Samadhi Trust.”

 

सब के मुह से नीकल गया,”व्होट ?”

मुनिश,”तु समाधि ट्रस्ट की तारीफ कर रहा है या गाली दे रहा है ?”

साजन,”तारीफ क्यूकी इसकी हेल्प के बिना न ही तो मै मेरे बहन के मौत के सौदागरो को जान पाता और न ही ट्रस्ट की हेल्प के बीना उन तक पहुच पाता हु और ही तो आज इस नतीजे पर पहुच पाता की रीवोल्यूशन मस्ट बी स्टार्टेड बाय अस।

 

सब सोच मे पड गये की साजन क्या बोल रहा है और क्या यही वास्तविकता है ? यही कडवा सच है। क्या इसीलिए सब जुल्म सहे लड़को या लडकियो को यहा इकठ्ठा किया गया था। क्या ये कोई षडयंत्र  है या कुदरत की लीला ? कौन जाने कहा ???

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6 Comments

Sandhya Prakash

22-Feb-2022 10:35 PM

👌👌👌👌

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PHOENIX

22-Feb-2022 11:46 PM

धन्यवाद।

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🤫

21-Feb-2022 10:09 PM

ओह माय गॉड, कहानी है या सस्पेंस से भरी कोई फ़िल्म ये बताओ! मतलब हर पार्ट में कोई न कोई नया कांड सामने निकल कर ही आना है भैया। बहुत बहुत बहुत खूबसूरत कहानी है आपकी। पढ़ कर काफी अच्छा लगा अभी इतनी ही तारीफ बाकी की आगे का पार्ट पढ़ने के बाद।👌👌👌👌👌👌👌👌🙊🙊🙊

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PHOENIX

21-Feb-2022 11:33 PM

इसीलिए अगला पार्ट आज ही पोस्ट कर दिया 😂🤣

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सिया पंडित

21-Feb-2022 05:59 PM

सस्पेंस रिवील तो क्या वो लड़की सुनंदा की है? सभी के साथ सेम एक्सीडेंट👍👍👍 गुड वर्क कीप इट अप

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PHOENIX

21-Feb-2022 06:53 PM

धन्यवाद। बस अब क्रांति की शुरुआत हो रही है और एक सस्पेंस अगले भाग मे देखने को मिलेगा। पढते रहीये...

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